Monday 20 August 2012

भिखारी

मैं भिखारी हूँ
भीख मांगता हूँ -
मोहब्बत की, अपनेपन की, सुकून की ,
और इस दुनिया को चलाने वाला वो ईश्वर
बड़ा दयावान है
ऐसा नही कि भीख भी न दे
देता है
पर - वह नहीं जो मैं माँगू
बल्कि वह जो ये चाहें !
जैसे - दर्द, दर्द, दर्द
मेरी हथेलियाँ दर्द से भर गई हैं
इसलिए भीख में मिले इस दर्द को 
मै रखता हूँ अपने दिल में 
क्योंकि दिल में अभी बहुत जगह खाली है 
दुनियां के लिए 
बहुत से दर्द समेट सकता हूँ अभी 
मुझे प्यार है दर्द से 
जैसे कोई पागल 
भीख में मिले 
खोटे सिक्कों से प्यार कर बैठे - 
मेरा दिल दर्द से कभी न भरेगा 
मैं कभी तृप्त न होऊंगा 
क्योंकि कहते हैं मैं भिखारी हूँ !

Monday 13 August 2012

गज़ल

न पूछ किस कदर ये आँख तरसी है 
जाने किन-किन तमन्नाओं की आज बरसी है. 

दिल की जलन को मिलती नहीं राहत
अब तो रातें भी दोपहर सी है.

गालों पर गिरे आंसू तो यूँ लगे 
तपती ज़मी पे आग बरसी है.

बड़ा पहचाना सा लगता है ये वीराना 
इसकी फिज़ां मेरे शहर सी है .