Tuesday 29 October 2013

गज़ल

किस  कदर  मुश्किलों  में  हम  हैं ,
तनहाई   है   और   शाम - ए - ग़म   है 

फिर  मेरे  तसव्वुर   में   तुम  हो,
फिर  तेरे  ख्यालों  में  हम  हैं 

आसमां  भी  रात  रोया  होगा,
ज़र्रे - ज़र्रे  पे  बिखरी  शबनम  है 

कुछ  तेरी  यादों  के  नश्तर  तीखे  हैं ,
और  जाम  में  शराब  भी  कम  है

______ 'उमि'
26/09/2907  

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