किस कदर मुश्किलों में हम हैं ,
तनहाई है और शाम - ए - ग़म है
फिर मेरे तसव्वुर में तुम हो,
फिर तेरे ख्यालों में हम हैं
आसमां भी रात रोया होगा,
ज़र्रे - ज़र्रे पे बिखरी शबनम है
कुछ तेरी यादों के नश्तर तीखे हैं ,
और जाम में शराब भी कम है
______ 'उमि'
26/09/2907
तनहाई है और शाम - ए - ग़म है
फिर मेरे तसव्वुर में तुम हो,
फिर तेरे ख्यालों में हम हैं
आसमां भी रात रोया होगा,
ज़र्रे - ज़र्रे पे बिखरी शबनम है
कुछ तेरी यादों के नश्तर तीखे हैं ,
और जाम में शराब भी कम है
______ 'उमि'
26/09/2907
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